
परिस्थितियों को दोष देना
वह
उस पर्ची को पढा और उसे नजरंदाज कर वहां से चला गया।
बच्चों
तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन
आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और आपको वह साधन मिल जाए तो आपको परिस्थिति को बदलना चाहिए।
इस
कहानी में तो यही लगता है कि कुछ लोग सिर्फ परिस्थिति को दोष देना जानते हैं अगर उनके पास उपयुक्त स्रोत होने के बाद भी वह परिस्थिति को नहीं बदल
सकते तो उन्हें ब्लेम भी नहीं करना चाहिये।
लेकिन
बच्चों हमें ऐसा नहीं बनना है। अगर
हमें उसे सुधारने का मौका मिले तो प्रयास जरूर करनी चाहिए।
Moral of the story: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप चाहते हैं कि परिस्थितियां बदले और आपको अगर उसके लिए उपयुक्त साधन मिल जाए और आपके योगदान से उस परिस्थिति में बदलाव आ सके तो आप उसमें अपना योगदान जरूर दें।
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