+91 - 9934399810 contact@spspublicschool.in
SPS

Post Page Advertisement [Top]

Not in working mode
BLOGSPSTRY AGAIN
Title
कोशिश करना कभी मत छोड़े।

कोशिश करना कभी मत छोड़े।

ये कहानी एक स्टूडेंट और उसके टीचर की है और आपको लाइफ में आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।

अंकुश के पिता कॉलेज में प्रोफेसर है और वो चाहते थे कि अंकुश 12 वीं में अच्छे नंबर ले कर आई.आई.टी (IIT) का टेस्ट पास करे और टॉप का इंजीनियर बने. अंकुश भी असल में यही चाहता था और जब उसके 12 वीं में 96% नंबर आये तो वह और उसके पापा बहुत खुश हुए. उन्हें लगने लगा कि अब अंकुश IIT की परीक्षा भी पास कर लेगा और एक भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में उसे दाखिला मिल जाएगा।

अब अंकुश पूरे विश्वास और मेहनत से IIT के एंट्रेंस पेपर की तयारी करने लगा. वो इतनी मेहनत कर रहा था कि अपनी भूख प्यास सब भूल गया. IIT के पेपर की तयारी के लिए अंकुश अपने टीचर मनोज सर से कोचिंग ले रहा था. मनोज सर उन सभी बच्चो को कोचिंग देते थे जो IIT की परीक्षा पास करना चाहते है. मनोज सर को भी लगता था कि अंकुश आसानी से आई.आई.टी की परीक्षा पास कर लेगा। उन्हें अंकुश का फ्यूचर बहुत अच्छा लगता था. उन्होंने भी अंकुश को बहुत मेहनत करवाई।

और फिर आखिरकार वो दिन आ गया जिसका इंतजार अंकुश, उसके पापा और मनोज सर को था. आई.आई.टी की परीक्षा थी और अंकुश बहुत खुश था. घर से मीठी दही खा कर अंकुश पेपर देने गया और घर आ कर वह बहुत खुश था क्यूंकि उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ था.


लेकिन कई बार किस्मत में वो नहीं होता जैसा हम सोचते है. जब आई.आई.टी का रिजल्ट आया तो उसमे अंकुश का नाम नहीं था. अंकुश मात्र 3 नंबरों से पीछे रह गया था जिसका दुःख सबको हुआ. अंकुश के पापा ने अंकुश का हौसला बांधते हुए उसे कहा कि कोई बात नहीं इस बार नहीं हुआ तो अगली बार हो जाएगा. लेकिन अंकुश तो जैसे इस बात को दिल पर ले बैठा था. उसे पूरी उम्मीद थी कि वह पेपर पास कर लेगा और जब वह पास ना कर पाया तो बहुत निराश हो गया. अंकुश डिप्रेस रहने लगा और अब उसका मन पढाई से ऊब चूका था.

अंकुश को निराश देख कर उसके पापा भी टेंशन में रहने लगे थे और इसलिए उन्होंने ये बात अंकुश के मनोज सर से शेयर की. मनोज सर ने अंकुश को फोन किया और कहा “अंकुश…आज शाम को घर पर आना कुछ बात करनी है”


अंकुश सर की बात मान कर उनके घर उनसे मिलने गया और मनोज सर अंकुश को अपने घर के आगे बने बगीचे में ले गए. वहां अंकुश को बैठने को कहा. अंकुश के पास ही थोड़ी सी रेत पड़ी थी. मनोज सर ने अंकुश को कहा “अंकुश..वो रेत देख रहे हो न, उसे उठाओ और अपनी मुट्ठी में बंद कर लो”

अंकुश ने रेत उठाई और जैसी ही अपनी मुट्ठी बंद की, रेत उसके हाथो से फिसल गई. अंकुश ने 3 – 4 बार कोशिश की लेकिन हर बार वो रेत उसके हाथ से फिसल जाती. 

मनोज सर ने अंकुश को समझाया “अंकुश ज़िन्दगी में कुछ चीज़े इस रेत की तरह होती है, उन्हें कितना भी थामने की कोशिश करो, वो हमारे हाथ से फिसल ही जाती है. तुमने पूरी कोशिश की आई.आई.टी का पेपर पास करने की लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि तुम वो पास कर ही लो, तुम सिर्फ कोशिश कर सकते हो.”


“ये हमारा कर्तव्य है कि हम किसी चीज़ को पाने के लिए पूरी कोशिश करे लेकिन अगर वो चीज़ हमें ना मिले तो इसका मतलब ये नहीं कि ज़िन्दगी से हार कर बैठ जाओ. उठो, और मेहनत करो और पूरे जोश के साथ अगली बार कोशिश करो, निश्चित ही तुम्हे तुम्हारा लक्ष्य मिल जाएगा. सिर्फ एक बार आई.आई.टी का टेस्ट क्लियर नहीं हुआ और हार मान लेना, ये तो कायरता है और अंकुश तुम कायर नहीं हो. अब निराशा छोड़ो, घर जाओ और मेहनत करो, मुझे यकीन है तुम ये कर सकते हो”

मनोज सर से मिली मोटिवेशन का अंकुश पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा और अगली बार उसने फिर कोशिश की और उसने आई.आई.टी की परीक्षा पास कर ली.

बच्चों ये कहानी के ज़रिये हम सिर्फ ये बताना चाहते है कि मात्र कुछ असफलताओं की वजह से हमें कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, हमेशा कोशिश करते रहे. एक ना एक दिन सफलता मिल ही जाती है. बस खुद पर यकीन रखे !

End of 'Try Again' Motivational Story.

No comments:

Post a Comment

Bottom Ad [Post Page]

Not in working mode